खुद के पैर में कुल्हाड़ी मारना तो सुना था, लेकिन नस्लों को बर्बाद करने वाले नासमझों को कौन समझाए जो अच्छी खासी खड़ी हो चुकी निषाद राजनीति को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।
डॉक्टर संजय कुमार निषाद ने निषादवंश का मान सम्मान स्वाभिमान जगाने वाला साहित्य लिखा, युवाओं, बुजुर्गों व महिला शक्ति को जागृत किया, मजबूत कैडर खड़ा किया। "जय निषाद राज" के नारे को गगनचुम्बी बना दिया, गली गली, घर घर व संसद तक पहुंचा दिया। श्रंगवेरपुर में जमीन का सीना चीर कर निकला महाराजा भगवान गुहराज निषाद के दिव्य और भव्य क़िले को पूज्य दर्शनीय धाम बना दिया।
जन जन में पूर्वजों की दिव्यता का दर्शन कराने वाली भगवान गुहराज निषाद की आरती को पहुंचाकर दुनिया को श्रद्धा भाव से भर दिया।
निषाद संस्कृति की ऐसी सुगंधित धारा बहा दी, जिसे कोई मिटा नहीं सकता। डॉक्टर संजय और समर्पित कैडर टीम के संकल्पित प्रयासों ने पूरी दुनिया में निषादवंश की पहचान ही बदल कर रख दी। पहले जो निषादवंश छुप छुप कर जीता था आज "निषाद" टाइटल लगाकर सीना चौड़ा करके कहता है कि "हम निषादवंशज हैं"।
"जय निषाद राज" के नारे से सुसज्जित, त्याग बलिदान का प्रतीक महरून झंडे की छत्रछाया में, डॉक्टर संजय निषाद के मजबूत नेतृत्व में आज निषादवंश का हर बच्चा, युवा, बुजुर्ग और मातृशक्ति अबाध गति से मान-सम्मान-स्वाभिमान, हक-अधिकार की मंजिल की ओर बढ़ रहा है।
इसी समय कुछ नासमझ समाज विरोधी विध्वंशक ताकतों के इशारे पर "निषाद पार्टी" के रूप में खड़ी हुई राजनीति को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं और भांति भांति के झंडे लेकर निषाद राजनीति को छिन्न भिन्न कर बर्बाद करने का प्रयास कर रहे हैं।
इसी क्रम मे कुछ समाज के तीतर नेता अन्य पार्टियों के इशारे पर आये/लाये गये ताकि डॉक्टर संजय कुमार निषाद की मेहनत से खड़ी की गई "निषाद राजनीति" को बर्बाद कर निषादवंश को फिर से दर दर भटकने को मजबूर कर दिया जाये, जो पहचान मिली है वह फिर से छिन्नभिन्न हो जाये।
जय निषाद राज का नारा मैदान में है तो क्या जरूरत है अलग से विद्रोही गुट बनाकर दुश्मनों के इशारे पर नाचने की। निषाद पर्टी और "जय निषाद राज" का नारा न डरेगा और न झुकेगा।
जय निषाद राज, डॉक्टर संजय कुमार निषाद जिंदाबाद....