राष्ट्रीय संयोजक (छत्तीसगढ़ स्वराज सेना) संजय सिंह राजपूत जी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के शुभ अवसर पर पत्नी नेहा सिंह राजपूत द्वारा सभी महिलाओं के सम्मान में लिखित कवित के साथ मे, कॉलेज में महिलाओ को सम्मनित किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में बिलासपुर महिला थाना प्रभारी मरकाम मैडम उपस्थित हुई.
तू जननी है तू निर्मात्री, तू ही जग की आधार भी है,
यदि जन्म ही ना पाए मानव, कैसे रहस्य वह जान सके,
तू जन्म की शुभ निमित्त भी है तथा तू ही कुशल पालिका भी,
जग कैसे समझ ना पाए तब,केवल तू मान की अधिकारिणी।
नारी के बिन यह जग समस्त,आधारहीन संकुल व्यर्थ,
तब क्यों यह आधुनिक मानव,अपमानित उसे कर, करे अनर्थ,
जहाँ नहीं मिले नारी को मान, वह गृह है ज्यों एक श्मसान,
बिन उसके कुछ संभव ही नहीं,असफल हो जाएं समस्त प्रयास।
यह कर्ज उतारने योग्य नहीं,केवल हो नमित कर लें प्रणाम,
नारी के सभी स्वरुपों का, कर लें झुक कर ही तनिक सम्मान,
ना अधिक की उसे अपेक्षा है, वह प्रेम की क्षुधा से है पीड़ित,
सम्मान से करके आलिंगन, हर लें वेदना एकांत जनित।
यही दें अमूल्य उपहार उन्हें,इस नारी दिवस के अवसर पर,
ना अधिक की आवश्यकता कुछ, है शेष समस्त एक आडंबर,
ठहरो व तनिक बैठो संग में,उसके भी नाम करो एक प्रहर,
तब बह जाएंगे दुख समस्त,उसके नयन से अश्रु बनकर।
स्वरचित - नेहा सिंह राजपूत