आज 1 नवंबर को ही छत्तीसगढ राज्य को भारत के 26वें राज्य के रुप में पृथक पहचान प्राप्त हुई थी. छत्तीसगढ के पृथक राज्य बनने के सात वर्षों पश्चात "छत्तीसगढी" भाषा को 28 नवंबर 2007 को राजकीय भाषा की उपाधि प्राप्त हुई. छत्तीसगढी भाषा अत्यंत मधुर व अपनापन से पूरित भाषा है, राजकीय भाषा घोषित किए जाने के पश्चात यह भाषा क्षेत्रीय भाषियों के लिए गर्व का कारक बनी. छत्तीसगढ के बारे में जितना ही कहे, कम ही लगता है. हमारा छत्तीसगढ कई संस्कृतियों का केंद्र बिंदु है.
धार्मिक दृष्टिकोण से भी यदि देखें तो सभी को ज्ञात है कि छत्तीसगढ की पूज्य भूमि हमारे आराध्य श्रीराम का ननिहाल अथवा माता कौशल्या का निवास स्थल भी रह चुका है. हमारा छत्तीसगढ माता सबरी की अनन्य भक्ति व प्रेम का स्थल भी है. छत्तीसगढ वन संपदा व कई प्रकार के खनिज तत्वों का भंडार स्थल है. छत्तीसगढ की ये समस्त विशेषताएं सैलानियों को प्रारंभ से ही आकर्षित करती आयी हैं. जहॉं एक ओर इसे "धान का कटोरा" कहा जाता है वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ की गर्भ भूमि में कोयले व साथ ही हीरे की भी खानें स्थित हैं. छत्तीसगढ ही एकलौता ऐसा राज्य है जिसे "महतारी" की उपाधि दी जाती है, इसी कारण से छत्तीसगढ की पूज्य भूमि अपने सानिध्य में आए सभी रहवासियों पर वात्सल्य रखते हुए न केवल सभी का पालन करती है परंतु उन्हें संपन्नता भी प्रदान करती है.
छत्तीसगढ कई क्षेत्रीय जनजतियों जैसे गोड़, मुरिया, माड़िया आदि का निवास स्थल है, इन जन जातियों का स्वभाव बड़ा ही सरल प्रतीत होता है, संभवत: इसका एक कारण यह भी है कि ये मॉं प्रकृति की गोद में रहने वाले लोग हैं. छत्तीसगढ की वन संपदा हमारे वन्य जीवों के लिए भी सर्वोत्कृष्ट स्थल है. यहॉं की जलवायु भी अन्य स्थानों की अपेक्षा सर्वोचित है जहॉं प्राकृतिक आपदाओं का भी प्रकोप अथवा प्रभाव अपेक्षाकृत कम ही देखने को मिलता है. छत्तीसगढ प्रारंभ से ही वीरों यथा - वीर नारायण सिंह, पंडित सुंदर लाल शर्मा आदि तथा विरांगनाओं यथा - बिलासा देवी, रानी दुर्गावती आदि की वीर भूमि रही है अतः यह भूमि कई शौर्य गाथाओं की भी साक्ष्य स्थल है. छत्तीसगढ को नदियों का प्रदेश भी कहा जाता है, यहॉं अरपा, महानदी, शिवनाथ नदी, पैरी नदी, सबरी नदी इत्यादि धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी हुयी जीवनदायिनी नदियॉं स्थित हैं. तैतीस जिलों से युक्त हमारा छत्तीसगढ प्रदेश भारत के मानचित्र में दक्षिण पश्चिम में स्थित एक दरियाई घोड़े की भॉंति दिखाई पड़ता है, जो सर्वथा हर प्रकार से संपन्नता व शांति का परिचायक बना स्थित है. छत्तीसगढ महतारी को मेरा शत-शत प्रणाम व आभार है जिनके सानिध्य में केवल वात्सल्य व अपार विकास की संभावनाएं स्थित हैं.